प्रकृति स्कूल नौएडा

कक्षा 5, 6, 7, 8, 10, के विद्यार्थियों का रचनात्मक कार्य

हिंदी – रचनात्मक कार्य

हवाई जहाज 

भरते हुए ऊँची उड़ान
वो देखता नहीं पीछे,
रास्ता उसका है केवल आगे…..
कि नहीं है कमी आदमी साहस की
ह्रदय में उसके|
वह साहस
जो छिन्न नहीं कर सकता,
कोई भी,
क्योंकि रास्ता है केवल आगे ही|
न करता द्रष्टि से ओझल कभी,
साथ लेकर अपनी आदमी शक्ति ….
गंतव्य तक…
पथ को अपने|
कि निश्चित प्रण उसका नहीं देता रूकने कभी
रखता आशा सदा ही शीर्ष ,
चाहे हो कुछ भी|
प्रेरित करता मुझे
कि उड़ेंगे मेरे सपने सदा
फले से ऊपर….. और ऊपर|

(अर्जुन पाठक)
कक्षा -6

 

 

वर्षा – ऋतु

पसंद मुझे वर्षा ऋतु है,
बरसात मुझे भाती है||
बादल आते घुमड़-घुमड़ के,
तब नमी हवा में आती है|
मछलियों को पानी
पेड़ – पौधों को जीवन,
कृषक के चेहरे की चमक,
बच्चों का कागज़ की नाव चलाना
सबकुछ वर्षा ही लेकर आती है|
हाँ पसंद मुझे वर्षा ऋतु है,
यह सभी के मन को भाती है|
सावी
कक्षा- 7

 

 

सबसे प्यारा प्रकृति स्कूल

बारह घंटे का दिन होता है,
बारह घंटे की होती रात,
दोनों को जोड़ें तो होता ,
चौबीस घंटे का दिन-रात||
सात रात-दिन बीत जाएं तो
उसको कहते हैं सप्ताह,
तीस दिनों के बीत जाने पर
पूरा हो जाता है माह,
बारह महीने बीत जाने पर,
एक वर्ष कहलाता है|
जिस विद्यालय हम पढ़ते हैं,
सबसे – प्यारा, सबसे न्यारा,
प्रकृति – स्कूल कहलाता है||

रूद्र व दर्श
कक्षा- 6

 

 

छुट्टियों के दिन

छुट्टियों के दिन,
और दोस्तों के बिन?
बहुत मुश्किल – बहुत मुश्किल!
सुबह हो या शाम,
न बातें – न काम
न किसी तरह का शोर,
न पक्षियों की गुनगुन……………
गिलहरी, तोता न मोर ……………
वो स्कूल का जाना,
बस में बैठकर आना……………
अरे! कहाँ मेरा स्कूल?
सबकुछ गई हूँ भूल……………..
छुट्टियों के दिन,
और दोस्तों के बिन?
बहुत मुश्किल – बहुत मुश्किल!

आसीस कौर
कशा- 7

 

 

समय की कीमत

समय की कीमत जान लो
मेरी बात मान लो,
जो पल बीता , वो कभी न आता
जो बीत गया वो समय गया,
फिर आगे न पछताना तुम ……………..
बस यही सत्य हाँ अटल सत्य
केवल इतना ही सच मानो तुम,
जो समय आज , है… अमूल्य धरोहर…..
बस उसकी कीमत जानो तुम….
जो बीत गया , न बात करो…
इस पल को ही अपना मानो तुम
इस पल को ही अपना मानो तुम||

साईं दीप अरोरा
कक्षा -6

 

 

बसंत ऋतु

देखो बसंत आई
चारों तरफ है खुशियाँ लाई
सब नाचे गाएं शोर मचाएं…
जीवन भी रंगीन बनाएं|

कोई दिखता पीला कोई नीला
कोई हुआ पानी से गीला||
प्रकृति बनी छोटी सी बिटिया
रंगों की है ओड़ चुनरिया…

कोई खींचे इधर – उधर
तो कोई दौड़े किसी के पीछे|
प्रेम भाव जन जन में जागे….
जलन भाव रह जाता पीछे|

फाल्गुन का मौसम है आया
रंगों संग पिचकारी लाया
पकवानों की खुशबू फैली
मस्ती में झूमा है जग सारा|

फाल्गुन कक्षा- 5

 

 

किताबें- और हमारा जीवन

एक जिल्द और जिल्द के अन्दर पन्ने
जो बताती हैं किस्से – कहानियां बातें,
अलग – अलग
देशों की संस्कृति|
अथवा
गणित विज्ञान और इतिहास के बारे में.
सबकुछ………………
किताबें जानती हैं……
जब समझ रह जाती छोटी
तब हम तलाशते हैं विद्वानों के विचार
जो छिपे हैं किताबों में|

इनसाक्लोपीडिया हो या कोमिक
हमेशा कुछ नवीन उदाहरण ….
और तनाव कम करने का तरीका,
तब किताबें ही हैं हमारी सच्ची साथी|

किमाया गर्ग
कक्षा- 5

 

 

‘अध्यापक’

नए विचार, नव आदर्शों की मिसाल बनकर,
हमारा – जीवन संवारता है अध्यापक |
सदाबहार सुगन्धित फूल – सा खिलकर,
महकता और महकाता है अध्यापक |
नित – नए प्रेरक – आयाम लेकर
हर पल भव्य बनाता है अध्यापक|
संचित ज्ञान का अनमोल – धन देकर,
जीवन में खुशियां लाता है अध्यापक|
पाप व लालच से डरने की,
धार्मिक सीख सिखाता है अध्यापक |
देशहित में कुछ कर गुजरने की,
बलिदानी राह दिखाता है अध्यापक|
सत्य – असत्य का भेद कर सकें,
अँधेरे से रोशनी की राह दिखाता है अध्यापक|
शत शत नमन मेरा मेरे सब गुरुओं को,
मेरे इंसान होने की पहचान
मुझे – कराते हैं अध्यापक ||

इतिवा बत्रा
कक्षा – 7

 

 

अकेलापन

मैं अपने साथ हूँ—
अकेला—
ख़ुद के अन्दर खुद में सिमटता हुआ
मन की गाँठें
अपने आपसे सुलझता हुआ
अपने अकेले जंगल में
अपनी विचारों की धरती पर
अपनी धुन पर थिरकता हुआ
इस जहाँ में अपने से दूर
शायद, किसी और जहाँ में
जो सिर्फ़ मेरा है
और मैं अपने साथ हूँ—
अकेला—
अपने ही मन के आँगन में
बेपरवाह
ख़ुद अपने आप में उतरता हुआ…..
मैं अपने साथ हूँ
अकेला ……………
अपने विचारों के साथ|

गोविन्द
कक्षा -7

पर्यावरण की सुरक्षा करना प्रत्येक नागरिक

का दायित्व है ?

पर्यावरण, यानी चारों तरफ का आवरण, मानव – सभ्यता प्रकृति की गोद में खेलकर फलती -फूलती
रही है। हमारा पर्यावरण हमारी समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। धरती, नदी, पहाड़, मैदान,पशु-पक्षी, आकाश, जल, वायु इत्यादि सभी घटक जीवनयापन के लिए नितांत जरूरी हैं इनके बिनाजीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। परंतु हम उसी पर्यावरण को प्रदूषित करके अपने जीवन केअस्तित्व के समक्ष  प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। हमारे क्रियाकलाप इस तरह के हो गए हैं, जिनसे पर्यावरण कोखतरा उत्पन्न हो रहा है। आज प्रत्येक आदमी को पर्यावरण के प्रति जागरूक हो जाने की आवश्यकता है।जब पर्यावरण है, तभी तो हम सब हैं। जब पर्यावरण नहीं है, हम सब भी नहीं हैं। और यदि हम समयरहते प्राकृतिक संतुलन बरकरार न रख पाए तो जलवायु संकट जीवन पर भारी पड़ जाएगा। वैश्विकतापमान में हो रही वृद्धि से दुनिया भर में खाद्य उत्पादन का संकट बढ़ रहा है। यदि उत्सर्जन की यहीदर जारी रहती है तो सदी के अंत तक विश्व में एक-तिहाई तक खाद्य उत्पादन संकट गहरा जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक सदी के अंत तक यदि यही स्थिति रहती है|पर्यावरण संरक्षण आज हमारा दायित्व है, जिसको निभाने के लिए हमे अग्रसर हो जाने कीजरूरत है। सरकार, सरकारी संगठन, गैर सरकारी संगठन व प्रत्येक नागरिक पर्यावरण के महत्त्व को समझेगा, इसको फिर हरा-भरा बनाने के लिए उचित कदम उठाएगा, तो यकीनन
हम पर्यावरण की समस्या को सुलझा लेंगे। अंत में यही कहना चाहूँगी :
‘पर्यावरण सुरक्षित बचेगा
जब मानव सजग रहेगा।
क्या जीना चाहोगे………
सुरक्षित जीवन?
यदि हाँ…………!
तो बनाइए संतुलन
प्रकृति व मानव के बीच………
ताकि वे एक-दूसरे के
मित्र बनें, – न कि दुश्मन।’

जान्हवी कार्तिक
( कक्षा- 10)

 

 

 

विद्यार्थियों के लिए मोबाइल के प्रयोग पर प्रतिबन्ध होना चाहिए अथवा नहीं?

इस तथ्य से कोई इनकार नहीं है कि मोबाइल फोन उपयोगी गैजेट हैं। वे हमारे रोजमर्रा के जीवन में कईतरीकों से हमारी मदद करते हैं, जिससे यह आसान और सुविधाजनक हो जाता है। मोबाइल फोन एक संचारउपकरण है, जिसे अक्सर “सेल फोन” भी कहा जाता है। यह मुख्य रूप से आवाज संचार के लिए उपयोगकिया जाने वाला उपकरण है, जिससे वीडियो कॉल करने, इंटरनेट सर्फ करने, गेम खेलने, उच्च रिज़ॉल्यूशन केचित्र लेने और यहां तक ​​कि अन्य प्रासंगिक गैजेट को नियंत्रित करने में सक्षम हो गया है। मोबाइल फोन आज इतने उपयोगी हो गए हैं कि, उन्होंने वास्तव में लैपटॉप और अन्य बड़े गैजेट्स
के उपयोग को बदल दिया है। आज, लोग ई-मेल भेजते हैं, इंटरनेट ब्राउज़ करते हैं, सोशल मीडियाअकाउंट्स, पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन का प्रबंधन करते हैं, गणना करते हैं, और अपने स्मार्ट फोन काउपयोग करके बहुत कुछ करते हैं। विद्यार्थियों के लिए मोबाइल फोन का अत्यधिक प्रयोग उचित नहीं है| अनावश्यक मुद्दों पर मोबाइल फोन पर लंबी अवधि के लिए बात करना और अनावश्यक चलचित्र देखना भी एक प्रकार का
दुरुपयोग है। डॉक्टरों ने बार-बार चेतावनी दी है कि मोबाइल फोन का निरंतर और अत्यधिक
उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे बच्चों का मानसिक विकास रुक जाताहै और पूरे व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है|
यह संदेह से परे है कि मोबाइल फोन विद्यार्थियों के दैनिक जीवन के लिए उपयोगी और आवश्यकगैजेट है। मोबाइल फोन के बिना, जीवन व्यक्तिगत रूप से और साथ ही पेशेवर रूप से कठिनहोगा। लेकिन, मोबाइल फोन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग किए जाने के बावजूद हमेंइसके दुरुपयोग से भी अवगत होना चाहिए। जब उचित रूप से उपयोग नहीं किया जाता है तोमोबाइल फोन के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर खतरनाक परिणाम हो सकते हैं।

खनक कुमार
(कक्षा-10)

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