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चाँद की रोटी, पानी में आई
फिर भी मछली, खा नहीं पाई।
इस कविता को हमनें बच्चों के द्वारा आगे बढ़ाया। कविता आगे बढ़ाने का हमारा उद्देश्य यह था कि बच्चे अपने विचार को कविता के द्वारा व्यक्त कर पाएँ और उनकी सोचने की क्षमता बताने तक सीमित न रहकर उन विचारों को अपनी सुन्दर लेख के द्वारा कविता में उतार सकें। जिसमें हर एक बच्चे ने अपना अपना पूर्ण योगदान दिया और अपनी कविता को आगे बढ़ाने का साहस दिखाया।
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इस शीर्षक में हमारा महत्वपूर्ण उदेश्य यह था कि बच्चों को सब्ज़ियों के ऊपर अपनी पहेलियाँ बनानी थी। जिसमें सब्ज़ियों का नाम लिए बिना ही उस सब्ज़ी का रंग, रूप, आकर के बारे बताना है और सामने बैठे दोस्तों को उन सब्ज़ियों को पहचानना है। इस काम को भी बच्चों ने बहुत सुंदर से किया और अलग -अलग सब्ज़ियों आकर, रंग और नाम से सभी बच्चों ने पहेलियाँ बनाई जैसे :- कुंदरू, बैंगन, अरबी आदि।
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इस गतिविधि में हमने बच्चों को उनके आस पास और अलग अलग प्रकार की आवाज़ों को सुन कर उन आवाज़ों को कविता में उतारने को कहा। जिसमें वह अपनी खुद की कविता को बनाने के पहले पड़ाव में थे और बच्चों ने उन आवाज़ों को अपनी सुंदर लेख के द्वारा एक कविता में उतार दिया।
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About the author:
Ms. Sandeepa Pal is a primary school facilitator at Prakriti.